Miraculous Temple In India: महापर्व शारदीय नवरात्रि (Shardiya Navratri) की शुरुआत विगत 15 अक्टूबर से हो गई है. नवरात्रि के नौ दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों को समर्पित होते हैं. इन पवित्र दिनों में मां दुर्गा के सभी मंदिरों में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है. देवी के कुछ मंदिर ऐसे हैं, जहां आज भी चमत्कार देखने को मिलता है. आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां मां दुर्गा अपने अलग-अलग स्वरूप में भक्तों को दर्शन देती हैं. इस मंदिर की ऐसी मान्यता है कि यहां दर्शन करने से राजसत्ता भी हासिल होती है. आइए जानते हैं इस मंदिर के चमत्कार और इतिहास के बारे में…
दर्शन करने से पूरी होती है मुराद
दरअसल, हम बात कर रहे हैं मध्य प्रदेश के दतिया जिले में स्थित मां पीतांबरा सिद्धपीठ की. इस चमत्कारी मंदिर की स्थापना 1935 में, स्वामीजी द्वारा की गई थी. मां पीतांबरा सिद्धपीठ में दर्शन के लिए कोई दरबार नहीं सजता है बल्कि एक छोटी सी खिड़की से भक्त उनके दर्शन करते हैं. यहां हर वक्त भक्तों की भीड़ उमड़ती है, लेकिन मान्याता है कि नवरात्र में यहां दर्शन करने मात्र से भक्तों की हर मुराद पूरी होती है.
मां का स्वरूप आज तक बना हुआ राज
इस सिद्धपीठ में भक्त तीन पहर में मां पीतांबरा के 3 अलग-अलग स्वरूपों का दर्शन करते हैं. हर पहर में मां अपना स्वरूप बदलती रहती हैं. इसके अलावा जब भी देश पर किसी प्रकार की विपत्ति आती है तो, माता देशवासियों की रक्षा करती हैं. आज तक मां के बदलते स्वरूप का राज एक राज ही बना हुआ है.
पूजा करने से प्राप्त होता है राजगद्दी
मां पीतांबरा के अलग-अलग स्वरूपों को शत्रु नाश की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है. इसके अलावा जो भी भक्त राजसत्ता की इच्छा रखते हैं, वो इस सिद्धपीठ में गुप्त पूजा करवाते हैं. इसलिए मां पीतांबरा को राजसत्ता की भी देवी कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि जो भी राजनीतिक इंसान सत्ता की चाह में मां पीतांबरा के दरबार में गुप्त पूजा करवाते हैं, उन्हें राजगद्दी अवश्य हासिल होती है. यहां पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी या अटल बिहारी वाजपेयी हो या फिर राजमाता विजयाराजे सिंधिया ही क्यों न हो, सभी ने मां पीतांबरा का आशीर्वाद प्राप्त किया.
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युद्ध के समय होती है गुप्त पूजा
इस मंदिर को लेकर एक और धारणा है कि, जब भी देश पर कोई विपत्ति आती है तो, मंदिर में मां पीतांबरा के स्वरूप, बगुलामुखी देवी की गुप्त पूजा की जाती है. कहा जाता है कि, भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान भी बगलामुखी देवी की गुप्त पूजा हुई थी. जिसके बाद दुश्मनों की हार हुई थी. आज भी मंदिर के परिसर में भारत-चीन युद्ध के दौरान गुप्त साधना के लिए बनाई गई यज्ञशाला स्थापित है.
(Disclaimer: लेख में दी गई जानकारी समान्य जानकारियों और स्थानीय मान्यताओं पर आधारित है, इसकी पुष्टी The Printlines नहीं करता है.)