Jyeshtha Purnima 2023: हिन्दू धर्म में ज्येष्ठ पूर्णिमा अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है. जानकारी के मुताबिक इस दिन धार्मिक और आध्यात्मिक गतिविधियों का पालन करना बहुत शुभ माना जाता है. हिन्दू कैलेंडर की मानें, तो अनुसार ये तीसरा माह होता है. वहीं, ड्रिक पंचांग के मुताबिक ज्येष्ठ मास में पड़ने वाली पूर्णिमा तिथि को ज्येष्ठ पूर्णिमा कहा जाता है. इस बार चार जून 2023 को ज्येष्ठ पूर्णिमा है. आइए आपको बताते हैं इस दिन क्या करें.
जानिए क्या है ज्येष्ठ पूर्णिमा का महत्व
आपको बता दें कि ज्येष्ठ पूर्णिमा बहुत महत्वपूर्ण है. ये ज्येष्ठ माह में पड़ने वाली प्रमुख पूर्णिमा तिथि है. दरअसल, ज्येष्ठ का अर्थ होता है “बड़े”, जो भगवान विष्णु के रूप में माने जाते हैं. दरअसल, उन्हें ज्येष्ठ श्रेष्ठ प्रजापति के रूप में जाना जाता है. ये बहुत पवित्र मास है. इसी माह में कड़ी तपस्या के बाद माता गंगा ने स्वर्ग से धरती पर अवतरित हुईं थी. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट पूर्णिमा व्रत भी लिया जाता है, जिसे विवाहित महिलाएं करती हैं.
ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन लोग विभिन्न धार्मिक गतिविधियों का पालन करते हैं. वे स्नान करने के लिए गंगा नदी (Ganga nadi) में जाते हैं. Bhagwan vishnu को प्रार्थना करते हैं और लक्ष्मी नारायण मंदिरों (Laxmi Narayan Mandir) का दर्शन करते हैं. इस दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है और देवता को अर्घ्य चढ़ाकर आदर्शित किया जाता है. कुछ लोग इस दिन भोजन और वस्त्र ब्राह्मणों को दान करते हैं और जरूरतमंद लोगों को भी. ज्येष्ठ पूर्णिमा पर वट वृक्ष की पूजा करना अत्यंत शुभ माना जाता है और भक्तजन वृक्ष को जल चढ़ाकर 108 बार प्रदक्षिणा कर सकते हैं. यह अनुशंसित रीति मानी जाती है.
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 की तारीख और समय
पूर्णिमा तिथि आरंभ – 3 जून, 2023 – सुबह 11:17 बजे
पूर्णिमा तिथि समाप्त – 4 जून, 2023 – सुबह 9:11 बजे
ज्येष्ठ पूर्णिमा 2023 के रीति-रिवाज
सुबह जल्दी उठें, गंगा नदी (Ganga nadi) में स्नान करें. इसके बाद भगवान विष्णु की प्रार्थना करें. वट वृक्ष या अक्षय वट की पूजा करके आशीर्वाद मांगना चाहिए. वट वृक्ष अमरत्व के कारण जाना जाता है, इसलिए इसे पूजा करनी चाहिए और मान्यता है कि त्रिमूर्ति- भगवान शिव, ब्रह्मा और विष्णु इसमें निवास करते हैं. मंदिरों में जाना करना, भगवान विष्णु को प्रार्थना करना, चंद्रमा की पूजा करना और यज्ञ-हवन करना जैसी धार्मिक गतिविधियों में संलग्न होना अत्यंत शुभ माना जाता है. ब्राह्मणों को कपड़े और भोजन दान करने से भी लाभ होगा.