एलन मस्क का OpenAI खरीदने के सपनों पर फिरा पानी, सैम ऑल्टमैन ने 97.4 अरब डॉलर का खरीद प्रस्ताव ठुकराया

ओपनएआई ने एलन मस्क का 97.4 बिलियन डॉलर में कंपनी खरीदने का प्रस्ताव ठुकरा दिया. ओपनएआई को सैम ऑल्टमैन चला रहे हैं. ओपनएआई के बोर्ड चेयरमैन ब्रेट टेलर ने कहा कि मस्क का यह प्रस्ताव सिर्फ़ अपने प्रतिस्पर्धियों को बाधित करने की कोशिश है.

कंपनी ने कहा- बिक्री के लिए नहीं है OpenAI

टेलर ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा, “ओपनएआई बिक्री के लिए नहीं है, और बोर्ड ने सर्वसम्मति से मिस्टर मस्क के प्रतिस्पर्धा को बाधित करने के नवीनतम प्रयास को खारिज कर दिया है.”

टेलर ने ओपनएआई के बॉर्ड ऑफ डायरेक्टर्स की तरफ से कहा, “किसी भी तरह का पुनर्गठन ओपनएआई को और मजबूत करेगा, ताकि एजीआई (आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस) का लाभ पूरी मानवता को मिल सके.”

रिपोर्ट्स के मुताबिक, ओपनएआई ने मस्क के वकील को एक पत्र भेजा, जिसमें कहा गया कि यह प्रस्ताव उनकी संस्था के उद्देश्यों के अनुकूल नहीं है.

इससे पहले मस्क की एआई कंपनी एक्सएआई और कुछ निवेशकों ने मिलकर ओपनएआई के गैर-लाभकारी संगठन को 97.4 अरब डॉलर में खरीदने की पेशकश की थी, लेकिन ओपनएआई के बोर्ड ने इसे खारिज कर दिया.

ओपनएआई के वकील एंडी नुसबॉम ने कहा कि मस्क का प्रस्ताव गैर-लाभकारी संस्था के लिए कोई उचित मूल्य तय नहीं करता और यह संस्था बिक्री के लिए उपलब्ध नहीं है.

OpenAI के सह-स्थापक रह चुके हैं मस्क

गौरतलब है कि मस्क ओपनएआई के सह-संस्थापक रह चुके हैं, लेकिन अब उन्होंने ओपनएआई और सैम आल्टमैन पर मुकदमा दायर किया है. मस्क का आरोप है कि ओपनएआई ने प्रतिस्पर्धा को दबाने और धोखाधड़ी जैसी गतिविधियों में संलिप्तता दिखाई है.

पिछले साल अक्टूबर में भी मस्क ने ओपनएआई के खिलाफ कानूनी कार्यवाही शुरू की थी. इस याचिका में ओपनएआई, इसके सीईओ ऑल्टमैन, अध्यक्ष ग्रेग ब्रॉकमैन, माइक्रोसॉफ्ट, लिंक्डइन के सह-संस्थापक और ओपनएआई के पूर्व बोर्ड सदस्य रीड हॉफमैन, और ओपनएआई के पूर्व बोर्ड सदस्य और माइक्रोसॉफ्ट के उपाध्यक्ष दी टेम्पलटन पर “विभिन्न अवैध गतिविधियों” का आरोप लगाया गया है और उन्हें रोकने की मांग की गई है.

उन्होंने आरोप लगाया कि ओपनएआई ने अपने गैर-लाभकारी स्वरूप को बदलकर मुनाफा कमाने वाली कंपनी बना दिया और अपनी बौद्धिक संपदा का हस्तांतरण भी किया.

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ओपनएआई ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि मस्क की यह चौथी कोशिश है, जिसमें वे बार-बार वही निराधार आरोप दोहरा रहे हैं. कंपनी पहले भी इन आरोपों को बेबुनियाद बता चुकी है.

-भारत एक्सप्रेस

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